प्यार की दास्तां
एक ही शिक्षण संस्थान में काम करते थे।
हम दोनों बच्चों को रोज पढ़ाया करते थे।।
एक दिन ऐसा घटना घटी।
जो दिल को आके मेरे सटी।।
कुछ ऐसी अनोखी बातें मेरे बारे में कह गई।
जो मेरे दिल की धड़कन की गति बढ़ा गई।।
बस क्या था, हम उनके दीवाने होने लगे।
उनको न चाहते हुए भी हम चाहने लगे।।
अब हमारी प्यार धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
किसी को कानों कान तक खबर ना लगी।।
मामला गड़बड़ उस वक्त हुआ जब उसकी नौकरी लग गई।
बस एक दिन आई मिठाई खिलाई बिना कुछ कहे चली गई।।
अब वह मुझे तड़पाने लगी।
दिन रात सपने में आने लगी।।
रात को नींद नहीं दिन को चैन था।
दिल तो कहता पर मन बेचारा मौन था।।
उसकी एक ही बात बार-बार याद आती थी।
जो प्यार की पहली कड़ी की शुरुआती थी।।
अब तो न वह थी न प्यार थी।
किससे कहूं बात दिल बेकरार थी।।
अब मेरी कलम उठी प्यार की लिफाफा लिखी।
जब उसने लिफाफा खोली तब मेरा प्यार दिखी।।
इधर धीरे-धीरे सबको मेरे प्यार का पता चल गया।
किसी के द्वारा उसके पास मेरे प्यार का कॉल चला गया।।
उस समय उसने ज्यादा कुछ नहीं बोली।
नहीं मेरे प्यार के ग्रीन सिगनल खोली।।
अब एक दिन मैंने उसे व्हाट्सएप किया।
उसने मेरे भेजे मैसेज को रीड किया।।
बस क्या था, उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया।
अपने आपको चारों तरफ से लॉक कर दिया।।
अब मेरा प्यार परवाह चढ़ता गया।
उसी के याद में गीत कविता गढ़ता गया।।
चौबीसों घंटे उसी का याद आता था।
दिन-रात उसी का नाम मैं रटता था।।
अब यार, दोस्त समझाने लगे।
प्यार अधूरा होता है बताने लगे।।
एक दिन शाम का समय था।
वही हुआ जिसका भय था।।
उसने मुझे कॉल किया।
मैंने कॉल रिसीव किया।।
उसने कड़े शब्दों में कहा ऐसा हरकत करेंगे।
तो मैं फालाना जी से सीधे शिकायत करेंगे।।
तब मेरा प्यार ठंडा पड़ा।
न चाहते हुए भुलना पड़ा।।
फिर हम तो प्यार भूल गए पर दिल नहीं भूला।
जब चाहे चले आना तुम्हारे लिए दरवाजा है खुला।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳