प्यार की कद्र
कैसा प्यार और कैसी प्यार की बातें ,
रह गई अब तो सब किताबें बातें ।
मतलबपरस्ती से बंधा है हर रिश्ता ,
मतलब नहीं तो खत्म प्यार की बातें ।
त्याग ,समर्पण ,वफादारी और सच्चाई,
खत्म हो गई इन सबकी भी कीमतें ।
जिसकी झोली में होगी जितनी दौलत ,
उसी को नसीब होगी ज़माने की मुहोबतें।
रुतबा भी बहुत बड़ी चीज है मेरे दोस्त!,
कौन समझेगा दिल की नाजुक जज्बातें ।
प्यार की अब इस जहां में कद्र ही कहां है ?
दम तोड़ने लगीं है इसकी सभी हसरतें ।
प्यार करना है तो अब खुदा से ही करो “अनु”,
तुम्हारी तड़पती रूह को यहीं मिलेगी राहतें।