प्यार की कदर
“प्यार की कदर”
मिटाने को हवस अपनी,
हमबिस्तर हो जाओगे…
बात जब छेड़ेगी वह शादी की,
जात-पात के बहाने बनाओगे..
हमसफ़र समझ प्यार वह करेगी,
तुम बस बहाने बनाओगे…
तुम मिटा करके हवस अपनी,
उसे छोड़,किसी और के हो जाओगे…
जब भी सामने से गुजरेगी वो,
तुम बस नजर झुकाओगे..
नजरों से सब कह दोगे पर,
उसके मन की ना जान पाओगे…
बस एक बार…
बस एक बार मुस्कुरा देना उसकी ओर,
तुम देख कर उसकी हंसी बहुत पछताओगे…
हवस तो तुम किसी से भी मिटा लोगे पर,
वैसा प्यार ना कभी पाओगे…
वैसा प्यार ना कभी पाओगे…
मृत्युंजय सिसोदिया
9549403468
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