प्यार की अधूरी सुगबुगाहट
…”प्यार की अधूरी सुगबुगाहट”…
?
तुम आए थे कि एक बड़ी उम्मीद जगी थी.
उड़ेलना शुरू कर दिया था मैने, अब तक जमे तरूण प्यार की गाढ़ी शहद को.
अभी तक न कोई ढालने वाले थे और ना ही मै किसी के भावनाओं के अधीन ढल रहा था.
अपनी एक आदत थी, अपना एक सोच था, अपनी मौज में शांत चले जा रहे थे.
चले जा रहे थे इस ख्वाब में कि कोई तो होगा मेरे अफसाने के लिए और मै भी तो किसी के इंतजार में हूं.
आदतों के बदलने की सिलसिला शुरू हो गई थी जिसमे मै वर्षों से बंधा था..
कितने चीजों से समझौता करना पड़ा मुझे, अपनी बातों से, अपने विचारों से और अपने निश्छल निगाहों से भी..
नजरों को फरेबी बनाना पड़ा मुझे..
यूँ तुम जब आए थे कि एक बड़ी उम्मीद जगी थी..
कि अचानक तेरा रूख बदला, मिजाज बदला और बदल गई चाल भी !
सहम गए मेरे बढते कदम, बिखर गए ख्वाबों के बनाई मिशाल भी.
अब चलूं तो जाउं किधर? रूके तो टूटकर जाउं बिखर!
………..@Thechaand………..