प्यार का सार
प्यार का सार है त्याग की भावना ,
प्रेम रस धार है प्रीत की कामना ।
जिंदगी मिल गयी प्यार जिसने किया ,
प्यार से मिट गयी खोखली वासना ।
प्रेम निस्वार्थ है कामना जब न हो ,
स्नेह स्वीकार है वासना जब न हो ।
साधना , वंदना, धार्मिक भावना ,
प्रेम आराधना साधना जब न हो ।
मोहिनी रूप से मोहने मन लगा ,
रूप माधुर्य से रीझने मन लगा ।
उज्ज्वला , वत्सला , शारदा माँ , सुधा ,
दे , वरद हस्त माँ भीगने मन लगा।
प्यार में जिंदगी तू हमें मिल गयी ,
यार से खुश- नसीबी हमें मिल गयी ।
मंजिलों तक पहुँचना कठिन था मगर ,
हाथ थामे हमें हर खुशी मिल गयी ।
लालिमा गाल की अब लजाने लगी ,
सुर्खियां होठ की थर थराने लगी ।
रूबरू जब मेरा दिल पिया से हुआ ,
हाथ की चूड़ियाँ खनखनाने लगी ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव , सीतापुर ।