प्यार का गीत
प्यार का इक नया गीत गाएँगे हम।
हाथ ले हाथ में गुनगुनाएँगे हम।
वो मिरे आसमां पर हसीं चाँद है
आज ता-हद्द-नज़र देखे जाएँगे हम ।
ऐ सुब्ह-ए-वतन ऐ जान-ए-चमन
शीश तेरे लिए फिर कटाएँगे हम।
गुल गुलाबों से महकेगा अपना वतन
अम्न की फ़ाख़’ताएँ उड़ाएँगे हम ।
राम राज्य का सूरज भी होगा उदय
एक दिन दौर ऐसा भी लाएँगे हम ।
तोड़कर नफ़रतों की सभी बेड़ियां
फिर से भारत को जन्नत बनाएँगे हम ।
लूट हो ना कहीं झूट हो ना कहीं
ऐसी दुनिया नयी मिल बसाएँगे हम।
हर नज़र में रहे उल्फ़तों की चमक
सम्त हर इक उजाला फैलाएँगे हम।
भाई- चारा बढ़े ख़त्म मनभेद हों
मज़हबी आग ‘नीलम’ बुझाएँगे हम।
नीलम शर्मा ✍️
ता-हद्द-नज़र-लगातार
उल्फ़तों-प्रेम
सम्त-दिशा