प्यार का इम्तेहान
कहानी
प्यार का इम्तेहान
हमारी कॉलोनी का गणपति महोत्सव पूरे शहर में मशहूर है। लगातार दस दिनों तक यहाँ मेले की तरह धूम रहती है। बच्चे, जवान, बुजुर्ग, स्त्री-पुरूष सभी खूब मस्ती करते हैं। प्रतिदिन आरती के पहले बच्चों और आरती के बाद बड़ों के लिए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कॉलोनी के पोपटलाल जी प्रतिदिन आरती के बाद पंद्रह मिनट का एक मजेदार और मनोरंजक कार्यक्रम कराते थे।
इस बार उन्होंने अपने ऐसे ही एक कार्यक्रम की घोषणा की।
“मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज मैं अपने सभी विवाहित मित्रों के लिए एक मजेदार, परंतु गंभीर खेल लेकर आया हूँ। सामान्य तौर पर हर पति-पत्नी की एक दूसरे से अनगिनत शिकवे-शिकायतें होती हैं। वे आपस में लड़ते-झगड़ते खूब हैं और प्यार भी खूब करते हैं। आज के गेम में हम परखेंगे कि कौन अपने लाइफ पार्टनर को सबसे अधिक प्यार करता है। तो आज का गेम शुरू करने के लिए मैं आमंत्रित करूँगा, यहाँ मौजूद सभी दंपतियों, याने कपल्स को। प्लीज, आप सभी अपने-अपने लाइफ पार्टनर के साथ स्टेज पर आ जाएँ।”
थोड़ी ही देर में मुसकराते, शर्माते, असमंजस से भरे वहाँ मौजूद नौ जोड़े स्टेज पर आ गए।
पोपटलाल जी ने मुसकराते हुए सबका स्वागत किया। फिर बोले, “मेरे प्यारे भाइयों और भाभियों, मुझे अच्छी तरह से पता है कि आप सबके बीच भरपूर प्यार है। आज के इस गेम में उस लक्की पति या पत्नी का पता चलेगा, जो अपने लाइफ पार्टनर से बेइंतहा, सबसे ज्यादा प्यार करता या करती है। तो शुरू करें ? तैयार हैं आप सभी ?”
“यस्स…।” स्टेज पर मौजूद कपल्स ने उत्साह से कहा।
सामने बैठे बुजुर्गों और बच्चों ने खूब तालियाँ बजाईं।
पोपटलाल ने कहा, “तो ठीक है फिर। गेम शुरू करने से पहले आप सबकी आँखों में पट्टी बाँधी जाएगी। मैं चाहूँगा कि सामने बैठे कुछ लोग यहाँ आकर इनकी आँखों में पट्टी बांधने में मेरी मदद करें।”
“हें, ये कैसा गेम है ? आँख में पट्टी बांध कर कैसे गेम खेलेंगे ?”‘ सेक्रेटरी ने कहा।
“यही तो गेम है सेक्रेटरी साहब। प्लीज आप तो बस इस गेम का आनंद लीजिए।” पोपटलाल ने उनसे रिक्वेस्ट की।
तीन-चार लोग दौड़कर आए और सबकी आँखों में पट्टी बांध दी गई।
पोपटलाल बोले, “मैं आज अपने साथ ये मिठाई का एक पैकेट लाया हूँ। इसमें लड्डू हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि लड्डू मीठा होता है। लड्डू बनाने वाले ने इन लड्डुओं में से एक लड्डू ऐसा बनाया है, जो मीठा न होकर थोड़ा-सा नमकीन है। दिखने में सब बराबर दिख रहे हैं, पर एक का स्वाद अलग अर्थात् नमकीन है। सेक्रेटरी साहब आप इसे देखकर तसदीक कर सकते हैं कि सभी एक जैसे ही दिख रहे हैं।”
“दिखाओ-दिखाओ… हाँ, हाँ… बरोबर। एकदम…. एक जैसे। ठीक है… बाँटो सबमें…”
पोपटलाल ने कहा, “गेम की शुरुआत करने से पहले मैं एक और बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि लड्डू खाने के बाद जिस भी किसी के हिस्से में वह नमकीन लड्डू आएगा, वह अपने मुँह से कुछ भी नहीं बोलेगा या बोलेंगी।”
“फिर… पता कैसे चलेगा ?” मिसेज वर्मा ने पूछा।
“सिंपल भाभी जी, जिसके हिस्से नमकीन लड्डू आएगा वह चुपचाप अपना दाहिना हाथ ऊपर उठा देगा या उठा देंगी। जब वह लक्की हाथ ऊपर उठ जाएगा, तो मैं सीटी बजाऊँगा। फिर आप सभी अपने-अपने आँखों में बंधी पट्टी निकाल कर देख लेंगे।”
“वावो… क्या जबरदस्त गेम प्लान किया है पोपटलाल ने। मान गए पोपट भाई तुमको।” सलमान भाई ने कहा।
पोपटलाल ने कहा, “तो मैं अब लड्डू बाँटना शुरू कर रहा हूँ। जब सबके हाथों में लड्डू पहुंच जाएगा, तब मैं वन… टू… थ्री… बोलूँगा। थ्री बोलने के बाद ही आपको लड्डू खाना है।”
लड्डू बाँटने के बाद पोपटलाल ने गिनती शुरू की।
वन…
टू…
थ्री…
सभी दंपत्ति लड्डू खाने लगे।
पूरा हॉल तालियों से गूँज रहा था। मिनटभर बाद पोपटलाल ने सीटी बजाई।
सबने आँखों में बंधी पट्टी हटाई। वे सभी चकित थे, क्योंकि सभी अठारह प्रतिभागियों के दाहिने हाथ ऊपर थे।
घोर आश्चर्य ?
ऐसा कैसे हो सकता है ?
पोपटलाल ने तो बताया था कि सिर्फ एक ही लड्डू नमकीन है। फिर… ?
जरूर पोपटलाल सबको उल्लू बना रहा है
जितने मुँह उतनी बातें…
अंत में पोपटलाल बोले, “मेरे प्यारे भाइयो और बहनो ! मैंने किसी को उल्लू नहीं बनाया, न ही बनाना चाहता हूँ। आज के इस गेम ने यह साबित कर दिया कि आप सभी अपने लाइफ पार्टनर को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं।”
“पर कैसे ? खुल कर बताओ न।” सभी चकित थे।
पोपटलाल मुसकराते हुए बोले, “वो ऐसे, कि सभी लड्डू मीठे थे। कोई भी लड्डू नमकीन नहीं था। परंतु आप सबने अपना प्यार जताने के लिए बताया कि आपके हिस्से का लड्डू नमकीन है।”
पोपटलाल की बात सुनते ही पूरा हाल सीटियों और तालियों से गूँज उठा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
9827914888, 9109131207