*प्यार का इज़हार*
डरता हूं कहीं तेरी लत न लग जाए
इसलिए तुमसे दूर रहता हूं
है दिल में बहुत कुछ कहने को तुमसे
लेकिन फिर भी चुप रहता हूं
कब समझेगा तू हाल-ए-दिल मेरा
बस इंतज़ार करता रहता हूं
तू भी समझ जाए मेरी आँखों की बेताबी को
मैं तो बस अब यही चाहता हूं
मिले जब, फिर बिछड़े नहीं हम
मैं बस इतना चाहता हूं
आ जाओ मेरी ज़िंदगी में अब तुम
पाना वो सुकून चाहता हूं
आना तो छोड़कर न जाना
इतना सा वादा तुमसे चाहता हूं
तेरे दिल में मिल जाए जगह मुझे
तुमसे बस यही चाहता हूं
तेरे मेरे सपने, हमारे सपने बन जाए
मैं तो बस यही चाहता हूं
कभी तू रूठे और मैं तुम्हें मनाऊँ
तुझसे ये मौक़ा चाहता हूं
संग चले जीवन की राह पर हम
तेरे संग ये सफ़र पूरा करना चाहता हूं
तू चाहे न चाहे कभी मुझको
मैं तो तुम्हें हर पल, दिल से चाहता हूं
न टूटे दिल तेरा न मुझे कभी जुदाई मिले
मैं तुझसे ऐसा प्यार चाहता हूं
बहुत हो गया अब तो इंतज़ार
मैं तुमसे प्यार का इज़हार करना चाहता हूं।