प्यार का अलख
अलख प्यार का जलाकर वो रश्मों-रिवाजों की बात करते है ,
इश्क की दरिया में लाकर वो अब मेरे अश्कों की बात करते है I
तू चाहे न चाहे तू माने न माने हम तो तुझे चाहेंगे उम्रभर ,
जमाना लाख ताने दे तेरे प्यार की इबारत लिखेंगे उम्रभर ,
सौ बार टूटे दिल हमारा पर हम तेरे कदमों में रहेंगे उम्रभर ,
“जहाँ” बेइंतहा जुल्म ढाए मुझपर तेरी इबादत करेंगे उम्रभर I
अलख प्यार का जलाकर वो रश्मों-रिवाजों की बात करते है ,
इश्क की दरिया में लाकर वो अब मेरे अश्कों की बात करते है I
तेरे नूरानी चेहरे के सामने सब कुछ यह भूलता गया ,
तेरी दी हुई तेरी अमानत तुझ पर अर्पण करता गया,
ज़माने की बेवफाई को तोहफा समझकर सहता गया,
तेरे बेमिशाल हुश्न के समंदर को बस देखता रह गया I
अलख प्यार का जलाकर वो रश्मों-रिवाजों की बात करते है ,
इश्क की दरिया में लाकर वो अब मेरे अश्कों की बात करते है I
तुमसे मोहब्बत की है तो कभी मेरा साथ छोड़ न देना ,
अपना बना लिया है तो तुम इससे मुहँ मोड़ न लेना,
जमाने से ठुकराए हुए दिल को फिर कभी तोड़ न देना ,
जहाँ से जब जाऊं तो “राज” टूटे हुए दिल को जोड़ देना I
अलख प्यार का जलाकर वो रश्मों-रिवाजों की बात करते है ,
इश्क की दरिया में लाकर वो अब मेरे अश्कों की बात करते है I
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देशराज “ राज ”
कानपुर