प्यार -ए- इतिहास
जिंदगी में गुजरे कुछ लम्हें,
इस प्रकार याद दिलाती है हमें।
हमें अपनों से दूर ले जाती है ।
मेरी गलतियां मुझे खुद को तड़पाती है।
जिंदगी में कुछ हुआ तो नहीं ,
हम कुछ किए तो नहीं ।
तेरे नामों का सपना देखे तो सही,
जिंदगी में कुछ हुआ तो नहीं।
हम तो हुए बदनाम,
तेरे नामों से हुआ पूरा नाम ।
कुछ कर तो सके नहीं ,
अब कुछ करने का इच्छा हो रहा नहीं।
हम अपने कर्मों से हुए गुनाह,
गुनाहों में हुए दो गुणा ।
हम किये वह गुनाहों को परेशान,
खुद के बीते लम्हें में हुए परेशान।
परेशानियां तो बहुत देखा हमने ,
पर इसकी भी एक नई बातें है ।
कोई मिला तो नहीं ,
इसका भी एक नया बात है।
-निशांत प्रखर
बिहार