#कविता//प्यार
#प्यार (उल्लाला छंद में)
आँखों से आँखें मिली , प्यार हुआ दीदार में।
सागर जैसा दिल लिए , डूबे मन विस्तार में।।
इक दूजे के भाव इक , समझें हम इज़हार में।
चाँद चाँदनी हो गये , मिलके नभ संसार में।
हँसना गाना प्यार से , पलपल बीते प्यार में।
सूर्य रोशनी से लगें , दोनों लाख़ हज़ार में।।
समझ समझ यूँ दिन कटें , खिलते फूल बहार में।
रहे ज़िंदगी गुलज़ार तो , मज़ा जीत-सा हार में।।
तेरा मेरा सोच के , डूबे मन मझधार में।
मोती गोताखोर पर , बढ़ती कला निखार में।।
‘प्रीतम’ प्रीतम सब रहें , प्यार रखे इतबार में।
प्यार से सब काम हों , प्यार हृदय शृंगार में।।
#सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
#कवि-आर.एस.’प्रीतम’