प्यार उनसे क्या करें
* प्यार उनसे क्या करें *
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साथ चल सकते नहीं जो प्यार उनसे क्या करें।
डगमगाते हैं कदम व्यवहार उनसे क्या करें।
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बात दिल की कह नहीं सकते अगर तो चुप रहो,
व्यर्थ का वादा मगर हर बार उनसे क्या करें।
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ढल रही है शाम बिखरी जा रही है चान्दनी,
गुफ्तगू की आज चाहत यार उनसे क्या करें।
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साथ जो हमने निभाना था निभाया आज तक,
कर चुके हैं हम बहुत मनुहार उनसे क्या करें।
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बादलों के साथ मिलकर हो चुकी अठखेलियां,
चाँद भी अब हो चुका लाचार उनसे क्या करें।
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जिन्दगी में चाहतों के स्वप्न महके थे कभी,
आज जब सब बन चुके हैं खार उनसे क्या करें।
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हार कर बैठे यहाँ क्यों साथ उनका दीजिये,
शक्ति का होता नहीं संचार उनसे क्या करें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०७/१०/२०१८