प्यार अंधा होता है
हर किसी को प्यार है
इस जहां में किसी न किसी से
वरना, ये दुनिया
बरसों से यूं ही नहीं चलती
कौन कहता है रात किसी का
इंतजार नहीं करती
अंधेरे से पूछो खो जाती है जिसमें
क्या वो प्यार नहीं करती
प्यार तो पत्थर भी करता है
उस मिट्टी से जिसके साए में
रहकर ही वो सुकून पाता है
जुदा होता है जब वो उससे
तोड़ देता है जो भी आए सामने
अपने होशो हवास खो जाता है
प्यार है उस मादा मकड़ी को
अपने होने वाले बच्चों से
जानती है उसे ही खा जायेंगे वो
फिर भी वो उन्हें जन्म देती है
होता नहीं प्यार उस सर्प को
बीन की मधुर ध्वनि से अगर
बिना कानों के कैसे सुन पाता
और उस पर थिरकता कैसे मगर
प्यार नहीं देखता कुछ भी
शक्ल सूरत जो देखे वो प्यार नहीं
होता जो प्यार देखकर सिर्फ चेहरा
कीचड़ में कभी कमल खिलता नहीं
प्यार अंधा होता है
लेकिन है वो कानून नहीं
कब किसको हो जाए
ये किसी को मालूम नहीं।