-प्यारे मेघा
बरसों मेघा प्यारे’
क्यों रूठ रहे बदला कारें
धरा जन आकुल हो तुम्हें पुकार
सूरज उगल रहा अंगारे
पेड़-पौधे सूख रहे सारे
कृषक आस लगा नभ निहारे
विरही की विरह मिटा ले
कोयल ,मोर ,पपीहे चुप सारे
बरसों जल्दी मेघा प्यारे,
उमड़-घुमड़ कर शोर मचाओ रे
जब तुम धरा पर आओगे
ठंडा नीर बरसाओगें
हरी -भरी होगी सूखी धरती,
कोयल मोर पपीहे की निकलेगी बोली
मधुर गान करेगी हमारी टोली
किसान करेंगे फसलोंसे हमजोली
झूले पर झूलेगी गाकर गीत गौरी
कारें ,श्रवेत बादल मेघा प्यारे
दूर करो सबके दुख सारे
जल्दी से जलद धरा पर अब पधारे।
– सीमा गुप्ता