Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2020 · 1 min read

प्यारे घन धरती पर आओ

प्यारे घन धरती पर आओ,
छन छन बूँद पड़े पृथ्वी पर
जन जन में खुशहाली लाओ।
मुदित विहंगा चञ्चु फाडकर।
गिरती बूँदो से प्यास बुझाओ।
मोती सदृश पत्तो से छनकर
धरती पर गिरती दिखती है ।
गरज रहे हो खुशी मिलन की
चपला से स्मित मुख लाओ।।
प्यारे घन धरती पर आओ।
तृषा तृप्ति दो पीउ पपीहा,
आओ नभ में घिर घिर जाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।
पडी दरारे हृदय सदृश जो
जल से उनको स्नेह मिलाओ
दूरी बनी रही जो अबतक
पडी दरारे दूर भगाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
चमक रूख में फिर आ जाए
मेढक जल पा करके गाएं।
एक बार फिर प्यास बुझाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।
बड़े दिनो तक दूर रहे हो
धरती से क्यों रूठ गए हो।
खत लिखू या फोन करूँ मैं
अपना पता झट बतलाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
बच्चे नभ को ताक रहे हैं ।
उत्सुकता से झाक रहे हैं
इन्द्र धनुष के रंग देखने
पावस आने तक जाग रहे हैं
कई रंग का मेल कराओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
क्रमशः——–
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*मन राह निहारे हारा*
*मन राह निहारे हारा*
Poonam Matia
#लघु_कविता
#लघु_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
DrLakshman Jha Parimal
"अक्सर"
Dr. Kishan tandon kranti
आव्हान
आव्हान
Shyam Sundar Subramanian
बातें
बातें
Sanjay ' शून्य'
तेरी कमी......
तेरी कमी......
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
shabina. Naaz
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
देखिए इतिहास की किताबो मे हमने SALT TAX के बारे मे पढ़ा है,
देखिए इतिहास की किताबो मे हमने SALT TAX के बारे मे पढ़ा है,
शेखर सिंह
सफल लोगों की अच्छी आदतें
सफल लोगों की अच्छी आदतें
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कौर दो कौर की भूख थी
कौर दो कौर की भूख थी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
मुझे छूकर मौत करीब से गुजरी है...
राहुल रायकवार जज़्बाती
दोहा
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
श्रीराम वन में
श्रीराम वन में
नवीन जोशी 'नवल'
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
ज़िंदगी की ज़रूरत के
ज़िंदगी की ज़रूरत के
Dr fauzia Naseem shad
सुरभित पवन फिज़ा को मादक बना रही है।
सुरभित पवन फिज़ा को मादक बना रही है।
सत्य कुमार प्रेमी
शिर ऊँचा कर
शिर ऊँचा कर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
2434.पूर्णिका
2434.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सबला
सबला
Rajesh
"खामोशी की गहराईयों में"
Pushpraj Anant
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
रिश्तों की रिक्तता
रिश्तों की रिक्तता
पूर्वार्थ
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
Shweta Soni
जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और खासकर जब बुढ़ापा नजदीक
जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और खासकर जब बुढ़ापा नजदीक
Shashi kala vyas
बाक़ी है..!
बाक़ी है..!
Srishty Bansal
Loading...