Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2024 · 1 min read

प्यारे घन घन घन कर आओ

प्यारे घन धरती पर आओ,
प्यारे घन धरती पर आओ,
छन छन बूँद पड़े पृथ्वी पर
जन जन में खुशहाली लाओ।
मुदित विहंगा चञ्चु फाडकर।
गिरती बूँदो से प्यास बुझाओ।
मोती सदृश पत्तो से छनकर
धरती पर गिरती दिखती है ।
गरज रहे हो खुशी मिलन की
चपला से स्मित मुख लाओ।।
प्यारे घन धरती पर आओ।
तृषा तृप्ति दो पीउ पपीहा,
आओ नभ में घिर घिर जाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।
पडी दरारे हृदय सदृश जो
जल से उनको स्नेह मिलाओ
दूरी बनी रही जो अबतक
पडी दरारे दूर भगाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
चमक रूख में फिर आ जाए
मेढक जल पा करके गाएं।
एक बार फिर प्यास बुझाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।
बड़े दिनो तक दूर रहे हो
धरती से क्यों रूठ गए हो।
खत लिखू या फोन करूँ मैं
अपना पता झट बतलाओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
बच्चे नभ को ताक रहे हैं ।
उत्सुकता से झाक रहे हैं
इन्द्र धनुष के रंग देखने
पावस आने तक जाग रहे हैं
कई रंग का मेल कराओ।
प्यारे घन धरती पर आओ ।।
——–
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र

Language: Hindi
1 Like · 75 Views

You may also like these posts

सेल्फिश ब्लॉक
सेल्फिश ब्लॉक
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
अपनी-अपनी जुगत लगाने, बना रहे घुसपैठ।
अपनी-अपनी जुगत लगाने, बना रहे घुसपैठ।
kumar Deepak "Mani"
समंदर चाहते है किनारा कौन बनता है,
समंदर चाहते है किनारा कौन बनता है,
Vindhya Prakash Mishra
Good Night
Good Night
*प्रणय*
जब से वो मनहूस खबर सुनी
जब से वो मनहूस खबर सुनी
Abasaheb Sarjerao Mhaske
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
पंकज कुमार कर्ण
मुक्तक
मुक्तक
Akash Agam
*यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं ( हिंदी गजल/गी
*यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं ( हिंदी गजल/गी
Ravi Prakash
प्रेम की परिभाषा
प्रेम की परिभाषा
himanshii chaturvedi
जीवन इतना आसान कहाँ....
जीवन इतना आसान कहाँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
Rajesh Kumar Arjun
अगर प्यार  की राह  पर हम चलेंगे
अगर प्यार की राह पर हम चलेंगे
Dr Archana Gupta
स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं
स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं
Sanjay ' शून्य'
नशे से बचो
नशे से बचो
GIRISH GUPTA
मौन
मौन
Vivek Pandey
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
*जो जीता वही सिकंदर है*
*जो जीता वही सिकंदर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"कर्म का मर्म"
Dr. Kishan tandon kranti
सारे आयोजन बाहरी हैं लेकिन
सारे आयोजन बाहरी हैं लेकिन
Acharya Shilak Ram
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
पूर्वार्थ
चाँद और अंतरिक्ष यात्री!
चाँद और अंतरिक्ष यात्री!
Pradeep Shoree
एक हमारे मन के भीतर
एक हमारे मन के भीतर
Suryakant Dwivedi
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
सागर का क्षितिज
सागर का क्षितिज
आशा शैली
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
RAMESH SHARMA
इल्ज़ाम
इल्ज़ाम
अंकित आजाद गुप्ता
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी...
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी...
Sunil Suman
जिंदादिली
जिंदादिली
Deepali Kalra
Loading...