प्यारी लगने लगी
प्यारी लगने लगी
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तुम मुझको प्यारी सी लगने लगी,
हृदय में जागा प्रेम का मधुर गीत
तुम मुझको सपनों में मिलने लगी।
तुम्हारी आहट पाकर, आंखें तुझको
ढूंढ़ने लगी ,
तुझको न पाकर के—
धड़कने मेरे दिल की बढ़ने लगी।
तेरी हर वो बात , मुझे याद आने लगी,
जिसको भूल चुकी थी मैं—-
दिल में मेरे फिर असर सा करने लगी।
मेरी नजरें हर-पल तेरा पथ
निहारने लगी,
तुझको न पाकर के —
तेरे दरश को मेरी अंखियां ,
तरसने लगी ।
चंदा की तू चांदनी, रोशन धरा
करने लगी,
लहरों की तू रागिनी—-
नित नए-न ए साजमुझको
सुनाने लगी !!
सुषमा सिंह*उर्मि,,