प्यारी बेटियाँ
स्वर्ग से उतरी परी हैं बेटियाँ
पुष्पों की पंखुरी है बेटियाँ।
जहाँ नहीं बिटिया का वास
वहाँ न खुशियों का आवास।
पावन दुर्गा माँ हैं बेटियाँ
हर परिवार की जां हैं बेटियाँ।
जहाँ नहीं है बेटी मौजूद
वहाँ नहीं है सुख का वज़ूद।
पावन गंगा जल है बेटियाँ
निर्मल निश्छल मन हैं बेटियाँ।
जहाँ न बेटी की किलकारी
वहाँ नहीं टिकती खुशहाली।
अमृत की बुंदियाँ हैं बेटियाँ
नयनों की निंदिया हैं बेटियाँ।
जहाँ नहीं है उनको आज़ादी
निश्चित उस घर की है बर्बादी।
तुलसी की क्यारी है बेटियाँ
घर की फुलवारी हैं बेटियाँ।
जहाँ न इनकी खिलखिलाहट
समझो है विनाश की आहट।
नष्ट करने की न चीज़बेटियाँ
घर भर की तहज़ीब हैं बेटियाँ
बेटी है शुभ प्रत्यक्ष या परोक्ष
बेटी बिना न मिलता मोक्ष।
यूं ही कोई न व्यर्थ बेटियाँ
अब न सहेंगी अनर्थ बेटियाँ।
जिसने कोख में मारी बेटी
समझो अपनी खुशियाँ मेटीं।
पूजा घर की महक बेटियाँ
घर भर की हैं चहक बेटियाँ।
ले लो तुम इनका आशीष
चरणन इनके नवाओ शीश।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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