प्यारी बहना
आज भाई की कलाई में बंधी ,
मात्र एक राखी बड़ी उदास दिखी।
शायद उसे कोई याद आ गया होगा,
जो नही उसके करीब इसीलिए नहीं दिखी ।
जाने कितने सालों से हर रक्षा बंधन में ,
साथ बना रहा ,मगर आज क्यों न दिखी ?
उस निर्जीव वस्तु को क्या मालूम ,
इसे बांधने वाले हाथ हमारा साथ छोड़ चुके हैं,
तभी तो वो तेरी सखी भाई की कलाई पर न दिखी ।
पिछले साल करोना दीवार बना भाई बहन के बीच ,
और इस साल विधि ने खेला यह अजब खेल ।
के अकस्मात मौत आ गई उनके बीच ।
इसे बदनसीबी कहें या ईश्वर का विधान ।
अपने बड़े भाई को दुलार , आशिषों के साथ ,
उसकी कलाई में अपने प्यारे हाथों से बांधने वाली राखी ,हमारी प्यारी बहना की नहीं दिखी ।
प्यारी बहना ! इस रक्षाबंधन पर तुम बहुत याद आई ।
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