प्यारी बहना (लघुकथा)
प्यारी बहना(लघुकथा)
क्या हुआ बाबू रो क्यो रही है ? अब तेरी माँ-बाबा मैं ही हूँ। कोई नही आयेगा तेरे रोने से पगली ! भूख लगी थी तो बताया क्यो नही ? चल अब कुछ खा लें । अच्छा सच बता क्यो रोयी माँ की याद आयी तेरे को! तुझे पता है ना माँ- बाबा अब कभी वापस नही आने वाले। वो बहुत दूर चलें गयें है भगवान के पास समझी कुछ अब कभी नही रोने का !
तुझे पता है वो सामने होटल वाला सेठ मेरे को काम देने को बोला है। फिर जो भी पइसा मिलेगा मैं उससे तेरे को बहुत सुन्दर परी की माफ़िक फ्रॉक लाके देगा। तुझे नही मालूम तू दुनिया की सबसे प्यारी लड़की है।
फिर कभी नही रोना कोई प्रॉब्लम हो मुझे बताने का तेरा भाई है ना !
चल अब मैं तेरा हॉथ मुँह धुलवाता हूँ। फिर मंदिर में प्रसाद खाने को जायेंगें।
अरे जिसने हमारे माँ-बाबा को अपने पास बुलाकर हमको जिंदा छोड़ा है वो हमें कभी भूख से…. तड़पकर कर मरने नही देगा विश्वास रख उस पर।
अरे ! ऊपर वाला अगर रहम करेगा तो मंदिर में हमे सोने की जगह भी जरुर मिल जाएगी।
आजा ! चल ऊंगली पकड़ ले मेरी छोड़ना नही समझी चलें । (गुनगुनाते हुए)
तू अपने भाई की प्यारी बहना है।
सारी उमर हमें संग रहना है।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड