” —————————————– प्यारी एक लहर भी ” !!
यादों की जागीर हमारी , झांको ज़रा इधर भी !
अलकों के साये में बसती , प्यारी एक लहर भी !!
मुस्कानों में पीर छुपी है , आशाऐं बलशाली !
रात रात भर मैं क्या जागूँ , जागे यहां शहर भी !!
है सलाम भेजा चुपके से , अर्थ बड़े हैं गहरे !
झेले झंझावात कई हैं , झेले कई कहर भी !!
अधर मौन हैं हंसी ठहरती , प्रश्न कई हैं उभरे !
साये रातों के गहराते , चाहें ऐक सहर भी !!
मदमाते सपने आंखों में , अब विराम ना चाहें !
मिला सुधारस पल दो पल को , पीया खूब जहर भी !!
कहीं खुशी जागी है थोड़ी , है कपोल पर लाली !
मिला है सन्देशा आने का , थोड़ा समय ठहर भी !!
बृज व्यास