पौराणिक कथा °°°°°°°°°°°°°°°°°°
?गणेशजी को तुलसी ??नही चढ़ने की पौराणिक कहानी
प्राचीन समय की बात है | भगवान श्री गणेश गंगा के तट पर भगवान विष्णु के घोर ध्यान में मग्न थे | गले में सुन्दर माला , शरीर पर चन्दन लिपटा हुआ था और वे रत्न जडित सिंगासन पर विराजित थे | उनके मुख पर करोडो सूर्यो का तेज चमक रहा था | वे बहुत ही आकर्षण पैदा कर रहे थे | इस तेज को धर्मात्मज की यौवन कन्या तुलसी ने देखा और वे पूरी तरह गणेश जी पर मोहित हो गयी | तुलसी स्वयं भी भगवान विष्णु की परम भक्त थी| उन्हें लगा की यह मोहित करने वाले दर्शन हरि की इच्छा से ही हुए है | उसने गणेश से विवाह करने की इच्छा प्रकट की |
?भगवान गणेश का तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराना :
भगवान गणेश ने कहा कि वह ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं और विवाह के बारे में अभी बिलकुल नहीं सोच सकते | विवाह करने से उनके जीवन में ध्यान और तप में कमी आ सकती है | इस तरह सीधे सीधे शब्दों में गणेश ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया |
?तुलसी का गणेश को श्राप :
धर्मपुत्री तुलसी यह सहन नही कर सकी और उन्होंने क्रोध में आकार उमापुत्र गजानंद को श्राप दे दिया की उनकी शादी तो जरुर होगी और वो भी उनकी इच्छा के बिना
?गणेश का तुलसी को श्राप :
ऐसे वचन सुनकर गणेशजी भी चुप बैठने वाले नही थे | उन्होंने भी श्राप के बदले तुलसी को श्राप दे दिया की तुम्हारी शादी भी एक दैत्य से होगी | यह सुनकर तुलसी को अत्यंत दुःख और पश्चाताप हुआ | उन्होंने गणेश से क्षमा मांगी | भगवान गणेश दया के सागर है वे अपना श्राप तो वापिस ले ना सके पर तुलसी को एक महिमापूर्ण वरदान दे दिए |
?गजानंद का तुलसी को वरदान
दैत्य के साथ विवाह होने के बाद भी तुम विष्णु की प्रिय रहोगी और एक पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी | तुम्हारे पत्ते विष्णु के पूजन को पूर्ण करेंगे | चरणामृत में तुम हमेशा साथ रहोगी | मरने वाला यदि अंतिम समय में तुम्हारे पत्ते मुंह में डाल लेगा तो उसे वैकुंट लोक प्राप्त होगा |
बाद में वही तुलसी वृन्दा बनी और दैत्य शंखचुड से उसका विवाह हुआ | भगवान विष्णु ने वृन्दा पतिव्रता धर्म खत्म कर शिवजी के हाथो शंखचुड की हत्या करवा दी | वृन्दा ने तब विष्णु को काले पत्थर शालिग्राम बनने का श्राप दे दिया |
?ध्यान रखे गणेश चतुर्थी पूजा विधि या संकट चतुर्थी पर जब भी एकदंत की पूजा करे तो तुलसी जी को उनसे दूर ही रखे |