पैसे का मोल
पैसा,वाह रे पैसा !
लोग पुछते नहीं है हाल, बेहाल होने पर
गैर भी कूद आते है, पास में माल होने पर ।
मित्रता-शत्रुता पैसे का सब खेल है
दिल से दिल का ना कभी इसमें मेल है।
पैसा,वाह रे पैसा…..।।2
पैसा,वाह रे पैसा !
तू ज़िन्दगी जीना सिखाती है,
हँसना रोना सिखाती है।
खेद बयां करूँ अपना किसी को,
उसका तो पहचान कराती है।
पैसा,वाह रे पैसा !
अपनों-परायों का रंग बताती है,
रिश्तों का भी पहचान कराती है।
गज़ब तेरा खेल है,
तू नहीं तो न प्रेम,न मेल है।
पैसा,वाह रे पैसा !
अकसर लोग ईमान भूल जाते है तुझे पाने में ,
रिश्तों को भी नहीं छोड़ते हैं आज़माने में ।
हम कुछ भी कर लें सम्मान पाने में,
लोग नहीं भूलते अपमान कराने में।
पैसा,वाह रे पैसा….!!2
–वेदप्रकाश रौशन