— पैसा पैसा —
कैसा खेल रचाया रब ने
हर किसी का दिमाग घुमाया
हो तो सकूंन , न हो तो परेशान
ज्यादा हो तो हैवान
न हो तो घूमता फिरे परेशान !!
पैसा सब कुछ है , जब काम आये
ज्यादा हो तो उलटे पुल्टे काम कराये
न सही से जिए आदमी हो अधिक तो
बिन पैसे वाला हर दम रहे परेशान !!
पैसा है तो रिश्तों में दरार डलवाए
भोग विलासता में इंसा को डुबाये
नित नई महफ़िल घर में सजाये
मैखाने और कोठों का रास्ता दिखाए !!
पैसे की कदर जिस ने न की
वो सदा रहेगा परेशांन
सकूं भी देगा उतना ही तब तक
जब तक संभल कर चलेगा इंसान !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ