पैदा तो मानव ही होता है
पैदा तो मानव ही होता है
वातावरण संग करम
सुर और असुर बनाता है
आचरण कर्म व्यवहार से
सज्जन या दुर्जन बन जाता है
पैदा तो मानव ही होता है
हिंसा है स्वभाव असुर का
प्रेम सुरों की शोभा है
मानव ही अपने आचरण व्यवहार से
सुर या असुर बन जाता है
पैदा तो मानव ही होता है
प्रेम समूची मानवता है
हिंसा है दानवता
आज समूची मानवता को
प्रेम की है आवश्यकता
पैदा तो मानव ही होता है
वातावरण संग करम
सुर और असुर बनाता है
पैदा तो मानव ही होता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी