पैगाम – ए – इबादत , सभी के दिलों का नूर हो जाए
1.
पैगाम – ए – इबादत , सभी के दिलों का नूर हो जाए
ख्वाब में भी सब , तेरी बंदगी करने लगें
2.
परेशां हूँ मैं यह सोच – सोचकर , गर हम तेरे बन्दे हैं
फिर एक दूसरे का खून क्यों कहा रहे हैं हम
1.
पैगाम – ए – इबादत , सभी के दिलों का नूर हो जाए
ख्वाब में भी सब , तेरी बंदगी करने लगें
2.
परेशां हूँ मैं यह सोच – सोचकर , गर हम तेरे बन्दे हैं
फिर एक दूसरे का खून क्यों कहा रहे हैं हम