“पेपर क्लियर होगा अबकी बार”
आई ए एस,पी सी एस,
बनने का सपना देख रहे थे,
बनते बनते कुछ बन ही गए,
और बने तो बने कलमकार।
पूछ रही दुनिया,
कहां गया ऑफिसर,
कहां गया जुनून,
बस बाते है लच्छेदार ।
सबने चिंता की,
उम्र हो गई पार,
कर लो बेटा शादी,
कह कह थक गए
मम्मी,पापा और रिश्तेदार।
आस पड़ोस और दोस्तो ने,
फब्तियां कसी कई बार,
हो गया निकम्मा,
नईया डूब गई सरकार।
सबने किस्से पूछे,
कैसे झूट गया प्यार,
हम सोच रहे,
किस को क्या कहें,
चुप चुप सुनकर,
ठान लिया अब,
पेपर क्लियर होगा अबकी बार ।।
@निल(सागर, मध्य प्रदेश)