#पेड़ हमारे मित्र #
मेरे घर के आंगन में,
पेड़ लगे हैं पांच।
आम, पाकर ,बरगद,पीपल,
है इनका पुराना साथ।
हरा भरा बागीचा मेरा,
मन को मोह है लेता।
सरसर चलती हवा यहां पर,
गर्मी को हर लेती।
इन पर बैठ के चिड़िया रानी,
मधुर आवाज में गाती।
रोज सुबह वह पांच बजे,
वह मुझे जगाने आती।
नीम के पेड़ की कोमल कल्ली,
तोड़ के हम सब लाते।
रगड़ रगड़ कर दांत साफ कर,
कीटाणु को भगाते।
औषधियों से भरे हुए हैं ,
मेरे बरगद दादा,
इनके साथ में खूब खेलते,
बड़ा मजा हैं आता।
आक्सीजन से भरे हुए हैं,
अपने पीपल भइया।
उछल कूद करते इन पर,
हम सब मिलकर भइया।
चढ़ जाते हम आम के पेड़ पर ,
आम तोड़ के लाते,
देख अगर लें हमको अम्मा,
बहुत ही डांट लगती।
उनकी डांट से बचने के खातिर,
पाकर पर चढ़ जाते।
उनको खुश करने के लिए,
हम ठूठिया तोड़ के लाते।
अम्मा उसका आचार बनाती,
फिर हम सब को हैं खिलाती।
मां कहती ए देव तुल्य है,
इनकी करना पूजा।
पेड़ हमारे संगी साथी,
इनके संग में बचपन बीता।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ