पेड़ से कौन बाते करता है ?
मूक बाधिर जीवित ,
इन पेड़ से कौन बातें करता है?
कौन पूछता इनका हाल ,
जिनके फल-फूलों से जग पलता है,
गर्मी में जो छाया देते,
सर्दी में लकड़ी देते है,
पतझड़ में सारे पत्ते झड़ जाते है,
देख दशा कौन पसिजता है?
मूक बाधिर जीवित ,
इन पेड़ से कौन बाते करता है ?
शीतल अविरल पवन ,
जिनके कारण बहती,
प्राण वायु हम सबको है देती,
मौसम का मिजाज होता है निर्भर ,
दम घोटू विषैले गैसों को लेते,
कैसे सहते हो कोई न कहता,
मूक बाधिर जीवित ,
इन पेड़ से कौन बाते करता है ?
हरे भरे कितने सुंदर दिखते,
फूलों-फलो से लदे रहते,
एक ही जगह पर स्थित रहते,
दल-दल में भी फसे रहते,
बाढ़ सूखा भू-स्खलन आपदाओं में ,
अपना दु:खड़ा किसी से न रोते,
मूक बाधिर जीवित ,
इन पेड़ से कौन बाते करता है ?
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश।