पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
(5) ग़ज़ल
—–” ‘ ” “—-” ‘ ” “—” ‘ ” “——” —–
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
हो रही धरती ये बंजर कुछ के चालो में ।।
ढूंढते हैं घोंसला अपने ही बच्चों का ।
देखकर हलचल मची उड़ते परिंदों में।।
कर्म होगा जो तुम्हारा वो मिलेगा फल ।
सीख मिलती है सभी हमको किताबों में ।।
जी हजूरी में लगे हैं लोग सारे जो ।
असलियत अपना छुपाते कर छलावों में ।।
कौन सोचे अब गरीबों के हालातो पर ।
बस फकत झूठी दिलासा है सवालों में ।।
हक गिनाते जो सदा परिवार में रहकर ।
बढ़ रही दूरी सदा अपनों के रिश्तों में ।।
“ज्योटी”अपना कर्म करना फ़र्ज़ पूरा कर ।
साथ मिलता जो ख़ुशी जीवन है अपनों में ।।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞 ✍️