पेड़ों से ही अपना जीवन
पेड़ो से ही अपना जीवन
पेड़ो से ही अपना जीवन,
मत करो इनका तुम दोहन,
तपती धरती कटते जंगल,
बोलो कैसे हो फिर मंगल,
घुमड़ – घुमड़ मेघ आते,
बिन बरसे ही रह जाते,
नित सूख रहे तालाब,
बोलो कैसे हो पूरे ख्वाब,
शहर शहर और गाँव गाँव,
मिलती नहीं है ठंडी छाँव,
तन से बहता खूब पसीना,
बोलो कैसे हो सहज जीना,
इसीलिए कहता…..
आओ मिलकर पेड़ लगाए,
अपना अपना फर्ज़ निभाए,
पेड़ लगाकर करें देखभाल,
सूख न जाए पौधे हर हाल,