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3 Aug 2018 · 1 min read

पेज की अभिलाषा

कॉपी के उस आखिरी पन्ने ने, ये सवाल आज पूछ लिया,
लिखते तो सब शुरुआत से हैं, पर क्यों उसको मैला कर दिया ।

शिक्षक भी उन पन्नो को बड़े आराम से निहारते हैं,
जिन पर बच्चे श्यामपट्ट से उनका अनुकरण उतारते हैं

ठीक है ये सब जो कुछ भी यूँ साल भर चलता जाता,
न जाने क्यों मैं बिन मर्ज़ी रुके कलम को सहता जाता,

तुम सबसे तो बस एक उर्दू, मेरे मन को भाती है,
भाषा है वो अदब से भरी, उल्टा मार्ग अपनाती है,

क्या करूँ मैं हूँ असमंजस में, ये उसने है पूछ लिया,
लिखते तो सब शुरुआत से हैं, पर क्यों उसको मैला कर दिया ।

।। आकाशवाणी ।।

Language: Hindi
2 Likes · 394 Views
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