पेंसिल बॉक्स
भरा हो कितना भी ज्ञान दिमाग़ में ,
सब बेकार ग़र पेंसिल बॉक्स ना हो बस्ते में ।
दुनिया को काग़ज़ पर उतार देते पेंसिल और प्रोटेक्टर ,
सारी ग़लतियाँ सुधार देता नम्र रबर ।
पेंसिल-रबर-शार्पनर सब मिलकर रहते,
इक दूसरे के गुण उजागर करते ।
होता पेंसिल बॉक्स परिवार समान ,
हर सदस्य का होता महत्वपूर्ण स्थान ।
नहीं होता इसमें कोई छोटा-बड़ा ,
ज़रूरत पड़ने पर हर कोई रहता साथ खड़ा ।
जब तक रहते साथ इक दूसरे की ताक़त बनते,
होते ही जुदा अपना अस्तित्व खोते ।
खुलते ही पेंसिल बॉक्स आँखों में चमक आती,
रखी उसमें हर चीज़ हमारे अंक बढ़ाती ।
पेंसिल बॉक्स बिना होता है ऐसे विद्यार्थी ,
जैसे युद्ध भूमि में हो योद्धा बिन सारथी ।
दिलाता ये बचपन की याद ,
हर महीने नए पेंसिल बॉक्स की करते थे फ़रियाद ।
बस्ते में सबसे अनमोल ख़ज़ाना यही है होता ,
इस बिन कोई भी बच्चा विद्यालय न जाता ।
होते चकित अध्यापक देख हमारी कलाकारी ,
जब हम करते इस्तेमाल पेंसिल बॉक्स की चीजें सारी।
हर विद्यार्थी करता इसका मान ,
देने हुए शुरू जीवन में इस से ही इम्तिहान।
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित