पेंशन(पुरानी पेंशन) की मांग पर भोजपुरी कविता।
1 -पांच साल या पांच दिन, चाहे चले सरकार ।
बाकी रउरा हो जाइले, पेंशन के हकदार।।
2 -साठ साल जे करे नौकरी, केतनो टहल बजावे ।
अंत समय ना हाथे में, उनके कुछहु आवे ।।
3- कइसन ई सरकार बनेला, कइसन नीति-नियन्ता ।
माननीय के करें सुरक्षा, आम जन के हन्ता ।।
4-60 साल जे करी चाकरी, अंत समय कहाँ जाई ।
हाथ, पाँव ना काम करी त$, केकर टहल बजाई ।।
5- लोकतंत्र में लोक भुलाइल, तंत्र भईल मनमानी ।
जनता के बा होत भलाई, कईसे केहू मानी ?
6- आपन भला करे खातिर,जे रउरा सब के चुनले बा ।
लागता अपने छुरी से अपना अंगुरी के कटले बा ।।7-बानी जेकरा काम से गइल,कुछ त ओकर मान करीं।
सबसे पहिले रउरा सभे(नेता), जनहित के काम करीं।
.??……..जय हिंद….. जय भारत…??