पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !*****************
पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !*****************
शैशवावस्था लिए माँ अंक में,
दुग्ध का कर पान रोता और न चुपता
दे रहा कोई खिलौने,
ताली बजा कोई मुझे बहला रहा है,
तंग सबको ही किये मैं जा रहा हूँ
पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !****************
बालपन में चुलबुलापन,
खेलता हूँ मग्न तन मन
कभी तितली पकड़ता हूँ
कभी जुगनू पकड़ता हूँ
तो बन वात्सल्य का पूरक कभी मैं गा रहा हूँ,
पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !****************
तरुणता ले के नयापन आ गयी
मैं नहीं समझा मेरे कब मूंछ मुख पर आ गयी,
आ गयी कब प्रीत की मृदु गंध उर में
फूटते से प्रेम के अंकुर ह्रदय में
सोचता ये ही स्वयं को पा रहा हूँ
पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !****************
मैं अपने प्रेम से नज़रें चुराता ही रहा हूँ
मिल न जाये वो मुझे ही राह में
इसलिए मैं छोड़ करके राह को
क्यों पगडंडियों पर पग बढ़ाता जा रहा हूँ,
ये ही नहीं अब तक समझ मैं पा रहा हूँ
पृष्ठ जीवन के पलटता जा रहा हूँ !****************