Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2021 · 1 min read

पूर्वज थे हमारे बहुत सयाने

पूर्वज थे हमारे बहुत सयाने
***********************

सुनिए पुराने अजब अफसाने,
पूर्वज थे हमारे बहुत सयाने।

घर मे जब होती मौत विशेष,
तेरह चौदह दिन न हो प्रवेश,
यही तो था आइसोलेशन भेष,
कवॉरंटाइन होता इसी बहाने।

जो जन शव को अग्नि देता,
उसको कभी न कोई छूने देता,
खान पान भी अलग हो जाता,
शुद्धिकरण होता इसी बहाने।

जब माँ बच्चे को थी जनती,
जच्चे बच्चे को कोई न छूती,
इंफेक्शन पीड़ित कोई न हो,
सुरक्षा रीति रिवाजों के बहाने।

बाहर से घर कोई जन आते,
पानी से हाथ पैर थे धुलवाते,
जल हल्दी छिड़काव करवाते
संक्रमण खत्म हो इसी बहाने।

गर कोई संक्रमित हो जाता,
बिन नहाए कोई नहीं छू पाता
सामान्य नुक्ते थे वो वैज्ञानिक,
दुष फैलाव न हो इसी बहाने।

गृह से जब कोई बाहर जाता,
कपूर, हल्दी जेब मे रखवाता,
बदन पर कपूर का लेप होता,
कीटाणु रोधी होते इसी बहाने।

शास्त्रीय – पारंपरिक थी बातें,
पाश्चात्य वाले मजाक उड़ाते,
कोरोना सिद्ध की सब सच्ची,
अपनाए इन्हें हम इसी बहाने।

मनसीरत आ गए वही जमाने।
पूर्वज थे हमारे बहुत सयाने।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-269💐
💐प्रेम कौतुक-269💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी
ब्रज के एक सशक्त हस्ताक्षर लोककवि रामचरन गुप्त +प्रोफेसर अशोक द्विवेदी
कवि रमेशराज
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
अपनी क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं कर पाना ही इस दुनिया में सब
Paras Nath Jha
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
शेखर सिंह
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
छोड़ कर महोब्बत कहा जाओगे
छोड़ कर महोब्बत कहा जाओगे
Anil chobisa
मैं ....
मैं ....
sushil sarna
सुहाग रात
सुहाग रात
Ram Krishan Rastogi
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
shabina. Naaz
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
Phool gufran
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अंतिम पड़ाव
अंतिम पड़ाव
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
इंसानियत का वजूद
इंसानियत का वजूद
Shyam Sundar Subramanian
बुरा समय था
बुरा समय था
Swami Ganganiya
दोस्ती तेरी मेरी
दोस्ती तेरी मेरी
Surya Barman
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
घमंड
घमंड
Ranjeet kumar patre
"नवरात्रि पर्व"
Pushpraj Anant
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
■ दोहा देव दीवाली का।
■ दोहा देव दीवाली का।
*Author प्रणय प्रभात*
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
Vandna thakur
भज ले भजन
भज ले भजन
Ghanshyam Poddar
उत्साह का नव प्रवाह
उत्साह का नव प्रवाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक अलग ही खुशी थी
एक अलग ही खुशी थी
Ankita Patel
*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
*तपती धूप सता रही, माँ बच्चे के साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Love Is The Reason Behind
Love Is The Reason Behind
Manisha Manjari
Loading...