‘पूर्णिमा’ (सूर घनाक्षरी)
पूनम का चाँद आया,
जग उजियारा छाया,
रजनी अनूप लगे,
ले लूँ मैं बलैया।
व्रत उपवास लेके,
लोक हित दान देके,
करलो नहान जाके,
सुरसरि मैया।
घर में हवन कर,
कथा का श्रवण कर,
हरि का भजन कर,
पार लगे नैया।
पूर्णमासी व्रत करे,
देव पूजा घर करे ,
लोक परलोक तरे,
केवट कन्हैया।
-गोदाम्बरी नेगी