‘पूज्य राष्ट्रपिता को प्रणाम’ !
‘पूज्य राष्ट्रपिता को प्रणाम’ !
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सत्य, अहिंसा का जिसने दिया था सुंदर सा संदेश
अहिंसा के जिस पुजारी को नापसंद थी ईर्ष्या,द्वेष
सदैव चाहते वे कि आपस में ना हो कोई भी क्लेश
कमी खलती है जिनकी,ढूॅंढ़ती है ये ऑंखें निर्निमेष
कहाॅं गुम हो गये बापू के स्वप्निल से वे सारे उपदेश।
आज इस जग की सोच है विपरीत , ना कोई पैमाना
कहाॅं चली गई खादी,चर्ख़ा, जिससे उन्हें सबने जाना
स्वदेशी को ताक पे रखके, अपनाते सब नया पैमाना
गांधीवाद की खिल्लियाॅं उड़ती, देखो ये कैसा ज़माना
सब अपनी अपनी राग अलापते,गांधी से वे अनजाना।
अपने ही अपनों से लड़ते,न रहा गांधीजी का वो पैग़ाम
हिंसक गतिविधियाॅं चलती रहती अनवरत ही सरेआम
क्षमा, दया का भाव ख़त्म है, यूॅं ही चल रही कत्लेआम
मैं तो बापू को करता उनकी जयंती पे शत् शत् प्रणाम
सन्मार्ग पे ही चलके देश के विकास को दें नया आयाम।
एक सकारात्मक आंदोलन के जरिए छा गए वे देश पे
चंपारण सत्याग्रह, दांडी मार्च से लगाम लगाए टैक्स पे
‘भारत छोड़ो’ के नारे से किया देशवासियों का आह्वान
ब्रिटिश सत्ता की नींव हिलाके लगाया अंग्रेजों पे लगाम
भारत माता को आजाद कराके कहा दुनिया को सलाम
आज हर देशवासी ही करते हैं ‘पूज्य राष्ट्रपिता को प्रणाम’।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 02 अक्टूबर, 2021.
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