पूजा
तू प्रसन्न रहे सदा
नित निस्वार्थ भाव से
कई बरसों से
तेरी पूजा की है मैने ।
बरसता रहे तेरी
कृपा का खजाना
तेरे हर रूप मे
आस्था दोहरायी है मैने ।
जब भी भटका हूं
दुविधा के घेरों मे
अन्तर्मन से उठती तेरी
आवाज सुनी है मैंने ।
दिया है जो तूने
जिन्दगी सफर मे
उसे ही प्रसाद समझ
सन्तोष किया है मैने ।।
राज विग 08.08.2020.