पूजन
आज उठी उर पीर अति,नयन सजल मम होय।
बीता जीवन बस तुम्हीं,बिलख बिलख उर रोय।।
छंद भाव रस लय रहित,लगा रही अरदास।
मम पूजा अर्चना यही, दर्श देहू सरताज।।
करो जो नित पूजा तप, मिल जायगी सिद्धी।
रंग रूप रस शब्द की,,,,,, पूरण होये रिद्धि।।
साधना पूजन से मिलि,शबरी को श्रीराम।
मम हिया यही कामना, हों दुख सभी विराम।।
असीम अतीव सभी का, गिरधर में विश्वास।
करती नीलम साधना,,,,,,खिले धरा उल्लास।
नीलम शर्मा