पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा
जी न सकें क्यों हम भी भैया जीवन जीए जैसा।
वे आए तेरी कोख में तो क्या सौगात लेकर आए
मैंने आ तेरे जीवन को भला कष्ट क्या पहुंचाए
भेद उपजा क्यों तेरे मन में बता मुझे क्यों ऐसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
नानी के घर तुमने भी अवश्य दुख पाया होगा
याद नहीं आता तुमको क्या अपना जीवन भोगा
तुम भुक्तभोगी हो फिर क्यों करती व्यवहार ऐसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
आत्मजा मैं तेरी मैं क्यों पराया धन हूँ कहलाती
जब तेरी आज्ञा पा मैं तो हर काम करती जाती
कारण क्या क्यों प्रेम नहीं तेरे मन में बता वैसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
मुस्कान योजना से धरा पे आना निश्चित हमारा
तीन माह मे गर्भधारण प्ंजीकरण कर्त्तव्य तुम्हारा
मिटा न पाएगी अब तू मम अस्तित्व पहले जैसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
हर नारी सा दोष तुम बापू पर मढ़ सकती हो
ममता की आड़ में चुप चुप आगे बढ़ सकती हो
बापू करते प्यार अधिक तुम क्यों न करती वैसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
माँ विवश नहीं करती उत्तर देना तुम पर निर्भर
दो घरों से जुड़ी हुई पर एक न पूरा है अपना घर
मैं फिर भी प्यार लुटाऊँगी तू चाहे सोचे जैसा
पूछें तुमसे एक प्रश्न माँ तेरा न्याय बता कैसा।
ओम प्रकाश शर्मा
जुनगा, शिमला।