पूछता है दिल
दिल में बहुत कुछ है उसके
बोलता कुछ भी नहीं मुझसे
लेकिन उसकी निगाहें भी तो
कुछ छुपाती नहीं है मुझसे।।
चाय पर जाने को पूछा जब
वो तब भी ना कह रही थी
देखा मैंने उसकी आंखों में तो
वो जाने को आतुर दिख रही थी।।
इतना तो जानता हूं उसको मैं भी
प्यार करता है मुझे शायद वो भी
अक्सर पूछता है मेरा दिल मुझसे
याद करता होगा मुझे क्या वो भी।।
देखता तो है मुझे दूर से वो भी
छेड़ता तो है मुझे कभी वो भी
बोलूं मिलने को तो गैरों की तरह
क्यों मुंह मोड़ देता है वो भी।।
क्यों दिल की बात नहीं समझता वो भी
अपने आप को गिनता है गैरों में वो भी
हम तो चाहते है उसे तहे दिल से
फिर क्यों नहीं चाहता मुझे वो भी।।
कहने को तो वो मेरा अपना है सुरेंद्र
सामने हो तो नज़रें चुराता है फिर भी
वो कोई चुनाव में खड़ा नेता तो है नहीं
फिर हमे क्यों सपने दिखाता है वो भी
अब तो उम्मीद है मुझे मेरे रब से
करें कोशिश उसे मनाने की वो भी
जो इतना मैं तड़पता हूं उसके लिए
तड़पेगा क्या मेरे लिए कभी वो भी।।
अब तो इंतजार है बस उस दिन का
जब वो कहे प्यार करता है मुझे वो भी
एक बार बस मुझे अब वो मिले जाए
फिक्र नहीं फिर हो जाए मुझे जो भी।।