Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

*पुस्तक*

पुस्तक

पुस्तकें मेरी,
जब होती पास,
आता ना मुझे,
अतिरिक्त कुछ रास।

शिक्षक बन जाती,
मैं इनकी शिष्या।
लाती मुझमें
परिवर्तन,
जब करती पढ़ने का,
अथक प्रयास।

मित्र बन मेरी सहेली,
बन जातीं मेरी आशा।
अंध-तमस में,
करतीं दूर
‌मेरी निराशा।

है परिपूर्ण शब्दों का
सागर,
विभिन्न विचारों की गागर।
भरती मुझमे,
अभिव्यक्ति की आस।

पुस्तकें मेरी
जब होती पास,
आता न मुझे
अतिरिक्त कुछ रास।

खो जाती हूं
शब्द व्याकरण में,
कविताओं और
कहानियों में,
इनकी लघु कथाओं में।
बुझाती हैं ये,
ज्ञान की प्यास।

पुस्तकें मेरी,
जब होती पास।
आता न मुझे,
अतिरिक्त कुछ रास।

शिक्षा से मिलते,
नैतिक मूल्य।
समाज की,
कुरीतियों का,
पकड़ कर तूल।
देती हमें सद्भावना
और सभ्यता का ज्ञान।

तुलसी-कृत रामायण
पढ़ मिलते,
श्रीराम के आदर्श।
देती हमें गीता का सार,
धर्म की मार्गदर्शक बन,
बताती परिवर्तन
का मूल्य।

पुस्तक मेरी,
जब होती पास।
आता न अतिरिक्त,
मुझे कुछ रास।

शायद इन,
पुस्तकों ने ही
मुझे स्वयं से मिलाया है।
जीवन जीने का,
रास्ता मुझे दिखाया है।
दुख में भी
निडर हो।
बुराइयों से परे,
सम्मान के साथ,
जीना मुझे सिखाया है।

इसी कारण रखती हूं,
सदा इन्हें,
हृदय के पास।
पुस्तकें मेरी,
जब होती पास
आता ना मुझे,
अतिरिक्त कुछ रास।
डॉ प्रिया।

Language: Hindi
1 Like · 100 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लाल बहादुर
लाल बहादुर
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
नया  साल  नई  उमंग
नया साल नई उमंग
राजेंद्र तिवारी
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
संघर्ष
संघर्ष
Shyam Sundar Subramanian
होली के हुड़दंग में ,
होली के हुड़दंग में ,
sushil sarna
*मतदान*
*मतदान*
Shashi kala vyas
इश्क़ में सरेराह चलो,
इश्क़ में सरेराह चलो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4678.*पूर्णिका*
4678.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़म
ग़म
shabina. Naaz
भक्ति गीत (जय शिव शंकर)
भक्ति गीत (जय शिव शंकर)
Arghyadeep Chakraborty
बेहिसाब सवालों के तूफान।
बेहिसाब सवालों के तूफान।
Taj Mohammad
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
**मन मोही मेरा मोहिनी मूरत का**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम्हें सोचना है जो सोचो
तुम्हें सोचना है जो सोचो
singh kunwar sarvendra vikram
औरों पर ठीकरे फोड़ने से ज़्यादा अच्छा है, ख़ुद के गिरहबान में झ
औरों पर ठीकरे फोड़ने से ज़्यादा अच्छा है, ख़ुद के गिरहबान में झ
*प्रणय*
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
" रागी "जी
राधेश्याम "रागी"
उजले दिन के बाद काली रात आती है
उजले दिन के बाद काली रात आती है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"चढ़ती उमर"
Dr. Kishan tandon kranti
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
तुम्हें पाना, तुम्हे चाहना
तुम्हें पाना, तुम्हे चाहना
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
“परीक्षा”
“परीक्षा”
Neeraj kumar Soni
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
Dushyant Kumar
*नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)*
*नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
धन ..... एक जरूरत
धन ..... एक जरूरत
Neeraj Agarwal
आप जिंदगी का वो पल हो,
आप जिंदगी का वो पल हो,
Kanchan Alok Malu
दोहा
दोहा
Dinesh Kumar Gangwar
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
Loading...