पुस्तक
पुस्तक में है ज्ञान समंदर|
बंद करो मस्तक के अंदर|
मात शारदे इसमें रहती|
वेदों की ये गाथा कहती|
पुस्तक को रखो सम्भाल कर|
रोज़ पढ़ो गठ्ठर निकालकर|
सीखो सही गलत का अंतर|
पुस्तक में है ज्ञान समंदर|
दुनिया का हर राज़ समाया|
है भरी विज्ञान की माया|
इस जग का इतिहास लिखा है|
हास तथा परिहास लिखा है|
लिखा हुआ है जादू-मंतर|
पुस्तक में है ज्ञान समंदर|
कहानियाँ सब मुझको भाए|
अच्छी-अच्छी बात सिखाए|
पुस्तक को तुम मित्र बनाओं|
श्रेष्ठ गुणों को तुम अपनाओ।
पढ़-लिखकर तुम बनो सिकंदर|
पुस्तक में है ज्ञान समंदर|
मेरे द्वारा लिखी गई है
-वेधा सिंह
-७वीं