Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jul 2024 · 2 min read

*पुस्तक समीक्षा*

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम: आनंद चेतना प्रवाह (काव्य-संकलन)
प्रधान संपादक: जितेंद्र कमल आनंद
संपादक: रामकिशोर वर्मा
प्रकाशक संस्था: अखिल भारतीय काव्यधारा, मंगल भवन, शिव मंदिर के पास, सॉंई विहार कॉलोनी, रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 70177 11018 तथा 9045440 373
प्रकाशक: ओशन पब्लिकेशन, निकट हनुमान मंदिर,चाह सोतियान, रामपुर
चलित वार्ता 9045440373
प्रथम संस्करण: जून 2024
—————————————
समीक्षक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
—————————————
जितेंद्र कमल आनंद और रामकिशोर वर्मा धुन के पक्के हैं। कर्मठता का साक्षात दर्शन हम इन दोनों में कर सकते हैं। जून माह जून 2024 में दोनों ने निश्चय किया कि आनंद चेतना प्रवाह काव्य संकलन पुस्तक रूप में प्रकाशित करना है। असंभव कार्य को एक माह के भीतर संभव कर दिखाया। एक महीने पुस्तक के प्रकाशन के कार्य में ही जुटे रहे। सोने पर सुहागा यह है कि 7 जुलाई 2024 को भव्य आयोजन के द्वारा पुस्तक का लोकार्पण भी डॉक्टर महेश दिवाकर आदि महानुभावों को बुलाकर कर दिया।

पुस्तक में 69 कवियों की रचनाएं संकलित की गई हैं ।रामपुर और उसके चारों तरफ विभिन्न प्रांतो के कवियों की इन कविताओं के माध्यम से एक प्रकार से लघु भारत प्रकट हो रहा है। पुस्तक का मूल्य ‘साहित्यिक मूल्यांकन’ रखा गया है अर्थात विशुद्ध साहित्यिक उद्देश्यों से पुस्तक प्रकाशित की गई है। साहित्य का प्रचार प्रसार इसका ध्येय है।

पुस्तक में उल्लिखित जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर उत्तर प्रदेश की स्थापना जनवरी 2001 में हुई थी। इसके संस्थापक जितेंद्र कमल आनंद, सुरेश अधीर और रामकिशोर वर्मा थे। वर्तमान में सक्रियता की दृष्टि से जितेंद्र कमल आनंद और रामकिशोर वर्मा ही कार्यक्रमों में क्रियाशील देखे जा सकते हैं। आध्यात्मिक काव्य धारा व्हाट्सएप समूह भी आप दोनों ही मिलकर चलाते हैं। इसके सदस्य भारत-भर में फैले हुए हैं। इसका लाभ यह हुआ कि संपादक-द्वय ने आनंद चेतना प्रवाह नाम का एक अस्थाई व्हाट्सएप समूह तैयार किया। श्रेष्ठ रचना कारों को समूह से संबद्ध किया। टाइप की हुई रचनाएं आमंत्रित कीं। और देखते ही देखते एक शानदार काव्य संकलन आनंद चेतना प्रवाह के नाम से सामने आ गया।

पुस्तक में कुंडलियॉं, घनाक्षरी, दोहे, मुक्तक, गीत, गजल,माहिया आदि काव्य की विविध विधाओं में रचनाएं हैं। कवि और कवत्रियॉं दोनों की संख्या एक दूसरे से होड़ ले रही हैं । काव्य की नई प्रवृत्तियों में डॉक्टर महेश दिवाकर की दो ‘सजल’ भी हैं। पुस्तक का रंगीन कवर आकर्षक है। कवर के भीतरी हिस्से में कवियों और कवत्रियों के रंगीन फोटो पुस्तक को और भी मूल्यवान बना रहे हैं। लंबे समय तक आनंद चेतना प्रवाह यादगार संकलन के रूप में जाना जाएगा।

68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे….
parvez khan
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
Ranjeet kumar patre
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
दोहा ग़ज़ल
दोहा ग़ज़ल
Mahendra Narayan
.... कुछ....
.... कुछ....
Naushaba Suriya
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
सत्य कुमार प्रेमी
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" शब्द "
Dr. Kishan tandon kranti
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
Dr fauzia Naseem shad
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*दशरथ के ऑंगन में देखो, नाम गूॅंजता राम है (गीत)*
*दशरथ के ऑंगन में देखो, नाम गूॅंजता राम है (गीत)*
Ravi Prakash
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
अ
*प्रणय*
तेरा साथ है कितना प्यारा
तेरा साथ है कितना प्यारा
Mamta Rani
सुकून
सुकून
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
Sonit Parjapati
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
लिखते हैं कई बार
लिखते हैं कई बार
Shweta Soni
अगर आपको जीवन मे सुख, आंनद, शांति चाहिये तो कभी आप श्मशान घा
अगर आपको जीवन मे सुख, आंनद, शांति चाहिये तो कभी आप श्मशान घा
रुपेश कुमार
3074.*पूर्णिका*
3074.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है; जिसका जवाब चाहिए,
मैं खुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है; जिसका जवाब चाहिए,
पूर्वार्थ
ग्रन्थ
ग्रन्थ
Satish Srijan
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
आत्ममुग्धता अर्थात् आत्महत्या
आत्ममुग्धता अर्थात् आत्महत्या
Sonam Puneet Dubey
सीख गुलाब के फूल की
सीख गुलाब के फूल की
Mangilal 713
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
shabina. Naaz
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Neeraj Agarwal
Loading...