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27 Feb 2024 · 3 min read

*पुस्तक समीक्षा*

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम : उगें हरे संवाद (दोहा संग्रह)
कवि का नाम: योगेंद्र वर्मा व्योम
ए.एल. 49, उमा मेडिकल के पीछे, दीनदयाल नगर प्रथम, कॉंठ रोड, मुरादाबाद 244105 उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9412805981 तथा 9411829716
प्रकाशक: गुंजन प्रकाशन, मुरादाबाद
समीक्षक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
मात्र दो पंक्तियों में अपनी बात को संपूर्णता के साथ अभिव्यक्त करने की जो शक्ति दोहे में है, वह शायद ही कहीं है। दोहे की विशेषता यह भी है कि इसमें नपी-तुली मात्राओं के साथ कवि को अपने रचना कौशल का परिचय देना पड़ता है। दोहे के छोटे आकार के कारण इसे सरल माना जाता है लेकिन इसका छंद विधान गहरे अनुशासन की मॉंग करता है। इसलिए दोहा सरल होते हुए भी उतना सरल नहीं है, जितना समझ लिया जाता है। छंद विधान का पालन करते हुए दोहों के माध्यम से कुछ कहे जाने की कला और भी कठिन है।
योगेंद्र वर्मा व्योम का दोहा संग्रह उगें हरे संवाद इस दृष्टि से महत्वपूर्ण दोहा संग्रह है कि इसमें दोहे के छंद विधान का पूरी तरह पालन किया गया है। साथ ही साथ विचारों को अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी बनाया गया है। यह दोहे अनेक बार अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए उद्धरण के रूप में बहुत अच्छी तरह से प्रयोग में लाए जा सकते हैं। यह इनकी उपयोगिता का एक अतिरिक्त आयाम है।
तीन सौ से अधिक दोहों का यह संग्रह अनेक प्रकार के दोहे प्रस्तुत कर रहा है:-
1) सामाजिक, पारिवारिक एवं राजनीतिक दोहे
2) सीख देते हुए दोहे
3) शब्द चित्रात्मक दोहे
4) व्यंग्य एवं नीतिपरक दोहे
विविधताओं से भरे हुए इस दोहा संग्रह में कवि ने हृदय के मनोभावों को विराट कैनवास पर चित्रित किया है। राष्ट्र की नई उपलब्धियों को अंकित करने में भी तत्परता से कार्य किस प्रकार किया जा सकता है, इसका एक उदाहरण देखिए:-

मिला तिरंगे को नया, पुनः मान सम्मान/ पहुॅंचा जब से चॉंद पर, विश्वासों का यान (प्रष्ठ 100)

एक नीति परक दोहा अपने आप में बेजोड़ है। कितनी पते की बात व्योम जी बताते हैं, ध्यान से सुनिए:-

लोहे से लोहा कटे, काट न सकता फूल/ चुभे पैर में शूल तो, उसे निकाले शूल (पृष्ठ 86)

एक राष्ट्र एक चुनाव की दिशा में सभी प्रबुद्ध जन विचार कर रहे हैं। कई बार गंभीर बातों को हंसते-हंसते हुए कह डालना ज्यादा असरदार होता है। इस दृष्टि से दोहाकार की निपुणता का आनंद लीजिए:-

लोकतंत्र में भी बहुत, आया है बदलाव/ आए दिन होने लगे, अब तो आम चुनाव (पृष्ठ 74)

पुस्तक में मॉं, माता पिता, शहीद और बचपन के जो चित्र खींचे गए हैं, वह उद्धृत करने योग्य है। अतः कुछ प्रस्तुत किए जा रहे हैं:-

बचपन से सब दूर हैं, राग द्वेष छल-छंद/ बच्चा खुद में जी रहा/ एक अलग आनंद
(पृष्ठ 48)

अमर शहीदों के लिए, सुबह दोपहर शाम/ नतमस्तक इस देश का, शत-शत उन्हें प्रणाम (पृष्ठ 84)

आज के दौर में परिवार और समाज में संवादहीनता सभी समस्याओं की सबसे बड़ी शत्रु है। पुस्तक का प्रतिनिधि दोहा इसी संवाद की शक्ति को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान करता है। कवि का यह बिल्कुल सही मानना है कि अगर परस्पर संवाद कायम रहे तो मनमुटाव और अवसाद अवश्य समाप्त होंगे। दोहा देखिए:-

मिट जाऍं मन के सभी, मनमुटाव अवसाद/ चुप के ऊसर में अगर, उगें हरे संवाद (पृष्ठ 39)

कुल मिलाकर सरल भाषा में जन-जन को वैचारिक ऊष्मा देने में समर्थ योगेंद्र वर्मा व्योम का दोहा संग्रह उगें हरे संवाद घर-घर में रखने और पढ़ने के योग्य है।

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