Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2022 · 1 min read

*पुस्तक समीक्षा*

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम : निष्काम कर्म (परम पूजनीय श्री राम प्रकाश सर्राफ की जीवनी)
प्रकाशन का वर्ष : 2008
कुल पृष्ठ संख्या : 140
लेखक एवं प्रकाशक : रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
समीक्षक : डॉ. पुत्तू लाल शुक्ल “चंद्राकर”
C 984 – 85 सेक्टर बी
महानगर, लखनऊ
दूरभाष 238 4424
नोट : समीक्षक हिंदी और संस्कृत के परम विद्वान हैं । राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामपुर में 1970 के आसपास अनेक वर्ष प्रोफेसर रहे हैं।
_________________________
निष्काम कर्म : एक तथ्यपूर्ण जीवनी
_________________________
प्रियवर रवि प्रकाश जी
स्नेहाशीष
‘निष्काम कर्म’ जीवन चरित्र पढ़कर परम आह्लाद हुआ । हिंदी में ऐसी तथ्यपूर्ण जीवनी नहीं लिखी गई है ।
आदरणीय लाला जी से मेरा संबंध 1969 से रहा है। वे सात्विक, त्याग की मूर्ति और आदर्श महापुरुष थे । उनका जीवन चरित्र हर विद्यालय के पुस्तकालय में होना चाहिए । आदरणीय लाला जी का चरित्र नई पीढ़ी के लिए प्रेरक एवं आदर्श है । रामपुर की भूमि धन्य है जहॉं ऐसे महापुरुष ने जन्म लिया ।
मेरी तीन पुत्रियॉं टैगोर शिशु निकेतन में पढ़ी हैं । मैं निरंतर श्री दिनेश जी के प्रवचनों से लाभान्वित होता रहा हूॅं । लाला जी ने रामपुर को ज्ञानमय और संस्कारमय बनाया है । उनकी दिव्य-मूर्ति की स्थापना रामपुर में होनी चाहिए ।
आपके व्यक्तित्व में ज्ञान का प्रकाश निरंतर होता रहे ।
शुभाकांक्षी
पुत्तू लाल शुक्ल “चंद्राकर”
C 984 – 85 सेक्टर बी
महानगर, लखनऊ
दूरभाष 238 4424

644 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ये 'लोग' हैं!
ये 'लोग' हैं!
Srishty Bansal
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
They say,
They say, "Being in a relationship distracts you from your c
पूर्वार्थ
अरमान
अरमान
Kanchan Khanna
मेरा दुश्मन
मेरा दुश्मन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
Ashwini sharma
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
ये
ये
Shweta Soni
प्रकृति और मानव
प्रकृति और मानव
Kumud Srivastava
जीवन की विफलता
जीवन की विफलता
Dr fauzia Naseem shad
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
Ravikesh Jha
3176.*पूर्णिका*
3176.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पापियों के हाथ
पापियों के हाथ
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
VINOD CHAUHAN
Gestures Of Love
Gestures Of Love
Vedha Singh
ग़ज़ल _ मुझे मालूम उल्फत भी बढ़ी तकरार से लेकिन ।
ग़ज़ल _ मुझे मालूम उल्फत भी बढ़ी तकरार से लेकिन ।
Neelofar Khan
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
प्यार इस कदर है तुमसे बतायें कैसें।
Yogendra Chaturwedi
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
..
..
*प्रणय*
यह   जीवन   तो   शून्य  का,
यह जीवन तो शून्य का,
sushil sarna
प्रेम दिवानों  ❤️
प्रेम दिवानों ❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
किसी ने आंखें बंद की,
किसी ने आंखें बंद की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
"बेटियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
Ranjeet kumar patre
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
Loading...