पुस्तक- एक प्रतिबिंब।
सफ़र अच्छा होता है,
जब…
पुस्तकों के संग चलती हैं ज़िंदगी।
पृष्ठ पर छपे हर शब्द…
एक एहसास दिलाते हैं आपको,
साझा करते हैं, उनके पीछे छिपा मर्म…
हमराही बनकर,
शून्य काल में भी बातें करती हैं।
बातें…
आज-कल की, तेरी-मेरी, हम सब की,
सुख-दुख के हर पल की।
दर्पण का प्रतिबिम्ब बनकर,
अनगिनत रहस्यों से पर्दा खोलतीं हैं।
पर्दा…
कल्पनाओं का वास्तविकता से,
अज्ञानता से ज्ञान का, उसमें छिपीं भावनाओं का।
सच्चा मित्र बनकर,
हर समय एकाग्रचित्त करतीं हैं।
एकाग्रचित्त…
जिजीविषा का, तन से – मन से,
आपके जिज्ञासु-पन से।