पुस्तकें सच्ची मित्र
किताबें होती इंसान की सच्ची मित्र
बनाती हैं ये इंसान का अच्छा चरित्र
हो रहा हो इंसान जब कहीं पर बौर
ना हो कोई साथी ,ना हो कोई होर
जब जिन्दगी हो रही हो बहुत नीरस
हो रहा हो बहुत परेशान और बेबस
वक्त काटे से भी नही रहा हो कटता
संगी साथी भी नहीं रहा हो मिलता
तब ये पुस्तकें ही बनें समय की डोर
ऐसे लगता है जैसे निकली हो भौर
अच्छे संस्कार ,गुण अंदर ऊपजाती
अवगुणऔर दोषों से है हमें बचाती
इंसान को चुगली, निंदा से हैं बचाती
समय का मोल बोध भी रहें करवाती
जीवन में ज्ञानप्रकाश भी हैं करवाती
समय व्यर्थता से भी रहती है बचाती
समय का सटीक सदुपयोग करवाती
अच्छी बातें और सीख रहें सीखाती
ज्ञान बढा कर विद्वान हमें हैं बनाती
एकांत में भी रहें मनोरंजन करवाती
जीवन की रहती दिशा-दशा बनवाती
हमारे जीवन को सफल भी हैं बनाती
जिंदगी जीने का मकसद बन जाता
जीवन सही दिशा में भी है लग जाता
सचमुच पुस्तकें होती हैं सभी विचित्र
जो जीवनमूल्य सीखातघ संग सचित्र
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली