“पुष्प”
कुछ पुष्प होते हैं ऐसे ,
निशा काल में हैं खिलते |
एकाकी तो होते हैं लेकिन ,
सुरभि बयारों में फैलाते |
भीनी -भीनी सुगंध के संग ,
मंद-मंद हैं मुस्काते |
चंदा की अलसाती किरनों में ,
रह -रह कर हैं अंगड़ाई लेते |
रजनी के ये सुंदर पुष्प ,
प्रतिपल हैं आकर्षित करते||
…निधि…